कहानीःरात होने से पहले
रात होने से पहले- - भाग3
थाइलैंड वियतनाम के खूबसूरत समुद्री किनारों, रंग बिरंगी इमारतों,पांच सितारा होटलों में लंच और डिनर करते कब हफ्ते बीत गए पता ही नहीं चला।पत्नी शुभि के साथ रोमांटिक पलों को मन में समाए सरीन वापस इंडिया लौट आया।
लगभग दो हफ्ते बाद राजपुर में कदम पड़े भी न थे कि चौधरी साहब ने नई गाड़ी की चाबियाँ भिजवाया।
"जी..!सरकार ने भैजे हैं।राख लियौ जाए।"
"महिंद्रा एक्स यू वी फाइव!!और एक ब्लैंक चैक..!"
सरीन की आँखें फैल गईं।
"ओ माइ गौड!!!"
"खड़ी खंभा चौधरी साहब!""पांई लागू!"सरीन चौधरी के प़ांव पर गिर गया।
चौधरी पहले तो चौंका फिर मोटी मोटी मूंछों को ऐंठ हो..हो कर हँस पड़ा।
"का भई सरीन!विदेश में कौंनो दिक्कत तो ना हुआ।"
"अरे नहीं सरकार!सब अच्छा रहा।"
तो बहु खुश तो हुई..।
जी सरकार..!!!दिल से बाग बाग हुए सरीन ने कहा।
"जी ..अदब सरकार.., आपने बुलाया क्यों था?"सरीन सिर झुका कर अदब से पूछा।
"आज शाम खाना है भई.. इतना अच्छा काम जो किये हो तै साबासी देना तै बनता है ना ..,बहू को लिए आना है।"
"जी चौधरी साहब!नई कार के लिए शुक्रिया।"
चौधरी पहले चौंका फिर हो हो हँसने लगा।
रात म़े फिर पार्टी थी।वही देशी विदेशी जाम।वैरायटी के वेज नौनवेज व्यंजन।धुन पर थिरकते कदम।
पर अब एक बड़ा चेंज आ गया था।
"आइ एम सरीन रस्तोगी!" नो नो आइ एम लौयर सरीन रस्तोगी!
सरीन के कदम अब गड़बड़ाते नहीं थे।एकदम सधे कदम लेकर थिरकने लगा था वह!!
अब सरीन बहुत बदल गया था।
रातों रात उसने अपना इमान गँवा कर अपनी किस्मत बदल ली थी।अपने पुरानी हवेली में बनी औफिस को कायाकल्प कर दिया था।किसी भव्य पांच सितारा होटल की तरह दिखाई देता था।
अब सरीन के पास केसों की कमी नहीं थी।अब उसे पता चल गया था कि पैसे कैसे कमाए जते हैं।
वकालत खाने में उसे पता चला कि माधव नारायण अपनी बची जमीन तथा घर दोनों को गिरवी रखकर बड़े कोर्ट में जा सकता है।
सरीन तैयार था।अब कोई चारा भी नहीं था।चौधरी ने बहुत बड़ा कौर देकर उसका मुँह बंद कर दिया था।
सब सच जानते हुए भी जबकि शहर के सारे न्यूज पेपर में सरीन और चौधरी की थू थू हो रही थी,सरीन संभावनाओं की खोज में था कि कैसे जमीन हड़पी जाए।
देर रात तक वह किताबोँ मेजूझता रहता।जूझता रहता।
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क्रमशः
सीमा...✍️✨
©
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Niraj Pandey
08-Oct-2021 04:31 PM
वाह बहुत ही बेहतरीन👌
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